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कामपूर्णजकाराख्यसुपीठान्तर्न्निवासिनीम् ।

The anchor on the ideal hand demonstrates that the individual is fearful with his Convalescence. If made the Sadhana, gets the self confidence and every one of the hindrances and road blocks are removed and all of the ailments are removed the symbol which happens to be Bow and arrow in her hand.

चक्रेश्या पुर-सुन्दरीति जगति प्रख्यातयासङ्गतं

दक्षाभिर्वशिनी-मुखाभिरभितो वाग्-देवताभिर्युताम् ।

साशङ्कं साश्रुपातं सविनयकरुणं याचिता कामपत्न्या ।

An early early morning tub is considered essential, accompanied by adorning clean garments. The puja space is sanctified and decorated with bouquets and rangoli, creating a sacred Place for worship.

षोडशी महाविद्या प्रत्येक प्रकार की मनोकामनाओं को पूर्ण करने में समर्थ हैं। मुख्यतः सुंदरता तथा यौवन से घनिष्ठ सम्बन्ध होने के परिणामस्वरूप मोहित कार्य और यौवन स्थाई रखने हेतु इनकी साधना अति उत्तम मानी जाती हैं। त्रिपुर सुंदरी महाविद्या संपत्ति, समृद्धि दात्री, “श्री शक्ति” के नाम से भी जानी जाती है। इन्हीं देवी की आराधना more info कर कमला नाम से विख्यात दसवीं महाविद्या धन, सुख तथा समृद्धि की देवी महालक्ष्मी है। षोडशी देवी का घनिष्ठ सम्बन्ध अलौकिक शक्तियों से हैं जोकि समस्त प्रकार की दिव्य, अलौकिक तंत्र तथा मंत्र शक्तियों की देवी अधिष्ठात्री मानी जाती हैं। तंत्रो में उल्लेखित मारण, मोहन, वशीकरण, उच्चाटन, स्तम्भन इत्यादि जादुई शक्ति षोडशी देवी की कृपा के बिना पूर्ण नहीं होती हैं।- षोडशी महाविद्या

ह्रीं‍श्रीर्मैं‍मन्त्ररूपा हरिहरविनुताऽगस्त्यपत्नीप्रदिष्टा

ह्रीङ्काराम्भोधिलक्ष्मीं हिमगिरितनयामीश्वरीमीश्वराणां

॥ अथ श्री त्रिपुरसुन्दरीवेदसारस्तवः ॥

अकचादिटतोन्नद्धपयशाक्षरवर्गिणीम् ।

कालहृल्लोहलोल्लोहकलानाशनकारिणीम् ॥२॥

Celebrations like Lalita Jayanti highlight her significance, wherever rituals and choices are made in her honor. The goddess's grace is believed to cleanse previous sins and direct one in the direction of the ultimate intention of Moksha.

यह साधना करने वाला व्यक्ति स्वयं कामदेव के समान हो जाता है और वह साधारण व्यक्ति न रहकर लक्ष्मीवान्, पुत्रवान व स्त्रीप्रिय होता है। उसे वशीकरण की विशेष शक्ति प्राप्त होती है, उसके अंदर एक विशेष आत्मशक्ति का विकास होता है और उसके जीवन के पाप शान्त होते है। जिस प्रकार अग्नि में कपूर तत्काल भस्म हो जाता है, उसी प्रकार महात्रिपुर सुन्दरी की साधना करने से व्यक्ति के पापों का क्षय हो जाता है, वाणी की सिद्धि प्राप्त होती है और उसे समस्त शक्तियों के स्वामी की स्थिति प्राप्त होती है और व्यक्ति इस जीवन में ही मनुष्यत्व से देवत्व की ओर परिवर्तित होने की प्रक्रिया प्रारम्भ कर लेता है।

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